Scribbling – 1

While I am still thinking on my next post, sharing a pic and some lines inspired from my recent trip.

ज़मीन अलग थी, आसमान वही था,

लोग अलग थे पर दर्द वही था|

दरिया अलग था, पानी वही था,
लोग अलग थे पर प्यासा वही था|

नोट अलग थे, उलझन वही थी,
लोग अलग थे पर रंज ओ गम* वही था|

परिंदे अलग थे, उड़ान वही थी,
लोग अलग थे पर बंजारा* वही था|

मूरत अलग थी, खुदा वही था,
लोग अलग थे पर मुस्तकबिल* वही था|

तू वही थी, मैं वही था,
हालात अलग थे पर इश्क़ वही था||

~ पियूष

*रंज ओ गम – Anger and Sadness; बंजारा – Nomad; मुस्तकबिल – Future

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One thought on “Scribbling – 1

  • August 14, 2015 at 5:14 pm
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    Keep posting Piyush.
    Thanks.

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